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जीवन मंत्र

वह अंधा है जो मुझे हिंदू देखता है
वह भी अंधा है जो मुझे मुस्लिम देखता है
मैं तो केवल उसे दिखता हूं
जो मुझे इंसान देखता है

दृढ़ता और कट्टरता में सबसे बड़ा अंतर यही है कि दृढ़ता विश्वास से उत्पन्न होती है और कट्टरता नफरत से

इंसान जिस वक्त जहां होता है वह उस समय उसी के लायक होता है हम इस वक्त जहां पर हैं उसका कारण हम स्वयं और हमारे संबंध है

हमारे देश में यह जितनी भी बड़ी-बड़ी बातें हो रही है
इन्हें कहने वाले और इनसे कहलाने वाले  वह लोग हैं
जो गलती से वहां पहुंच गए हैं

मुझे जमाने में कई दोष नजर आते हैं पर खुद में एक भी दोष नजर नहीं आता इसीलिए मैं अपने आप को अंधा समझता  हूं

मेरे शरीर में एक मस्तिष्क दो नेत्र  एक नाक दो हाथ दो पैर है
शरीर के ऊपर चमड़ी पर बाल है और रोए हैं मुंह में जीभ है दंत हैं शरीर के भीतर रक्त है मल मूत्र कफ पित्त से भरी अनेक नसे  हैं जो दुर्गंध युक्त वायु से भरी पड़ी है इतनी गंदगी होने के बावजूद भी मैं अपने आप को बहुत भाग्यशाली मानता हूं क्योंकि मैं मनुष्य हूं
 मैं सब कुछ जान सकता हूं क्योंकि मैं मनुष्य हूं
मैं सर्वश्रेष्ठ इसलिए नहीं हूं क्योंकि मैं मनुष्य हूं
मैं सर्वश्रेष्ठ इसलिए हूं क्योंकि मैं जानता हूं
जानो जानो जानो
मनुष्य का जन्म जागने और जानने के लिए ही होता है मैं भी सर्वज्ञ हूं क्योंकि जो भी विद्यमान है वह तत्व है वह तत्व में भी हूं आदि ऐसा ही आत्मज्ञान हो रहा है

धन्यव

मेरे अनुसार महान दुख उन्ही के जीवन काल में आते हैं जिनके भाग्य में महान उद्देश्य और कर्म लिखे होते हैं

मेरे अनुसार जिसमें भूख प्यास और इच्छाएं हैं वह सभी दुखी हैं और जिन्हें भूख प्यास और इच्छा नहीं है वह सभी सुखी है

मेरे अनुसार कोई इस संसार के खेल को खेल कर अपने मन को बहला रहा है

इस संसार में सभी लोग मरने को बेताब है कोई अपनी सांसो को रोक कर बचाना नहीं चाहता है दुआ करते हैं लोग अपनों की लंबी उम्र की पर सच में जिंदगी और जीकर तड़पना नहीं चाहती है
#मैंलेखकहूं
#चेतनश्रीकृष्णा
#ChetanShriKrishna
#Mainlekhakhun

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6 Comments

बहुत ही उम्दा और सशक्त रचना

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Pallavi

19-Jun-2022 10:02 AM

Beautiful lines

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Gunjan Kamal

17-Jun-2022 02:24 AM

बहुत खूब

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